वीटो पावर का अर्थ क्या है?


टिन में वीटो का अर्थ है- मैं असहमत हूं या मेरी अनुमति नहीं है। इसकी अवधारणा ईसा से सात सौ साल पहले रोमन राज व्यवस्था में चुने गए सर्वोच्च पदाधिकारी को प्राप्त अधिकार से है, जो रोमन सीनेट के पास किसी भी प्रस्ताव को पारित होने से रोक सकते थे। कालांतर में ब्रिटिश राजा के पास भी संसद के प्रस्ताव को रोकने की शक्ति थी, जिसका धीरे-धीरे लोप होता चला गया। इन दिनो हम वीटो पावर का अर्थ आम तौर पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थाई सदस्य देशो को मिले विशेषाधिकार से लगाते हैं। ये देश हैं- चीन, रूस, फ्रांस, अमरीका और ब्रिटेन। इनमें से कोई भी सदस्य किसी प्रस्ताव को पारित होने से रोक सकता है। इसके पहले सन 1920-46 तक रहे संयुक्त राष्ट्र के पूर्ववर्ती संगठन लीग ऑफ नेशंस की लीग काउंसिल के सदस्यों के पास भी वीटो पावर होती थी। फर्क यह था कि उसके चार स्थाई और चार अस्थाई सदस्यों के पास वीटो अधिकार था। वर्ष 1936 में संख्या बढ़कर 11 हो गई और इसके साथ ही वीटो का अधिकार 15 देशों के पास आ गया। लीग ऑफ नेशन्स की विफलता या निष्क्रियता का एक प्रमुख कारण वीटो पावर भी था। बावजूद इसके जब सन 1944 में एक नए अंतरराष्ट्रीय संगठन के रूप में संयुक्त राष्ट्र की स्थापना पर विचार विमर्श चल रहा था, तब साथ फ्रांस को भी यह अधिकार देने का फैसला किया गया। हालांकि उस समय फ्रांस पर जर्मनी का अधिकार था। माना जाता है कि आज भी कई मामलों में संयुक्त राष्ट्र इसलिए कार्रवाई नहीं कर पाता, क्योंकि उसके पांच स्थायी सदस्यों के पास वीटो अधिकार है। पर अब इसका इस्तेमाल बहुत कम होता है। वर्ष 1945 से 2015 तक कुल मिलाकर 236 बार इसका इस्तेमाल हुआ है। अधिकार और सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्यों की संख्या को बढ़ाने पर दुनिया भर में बहस चल रही है।

Total Pageviews